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2. अस्थमा में फायदेमंद
सितोपलादि चूर्ण अस्थमा की दवा नहीं है, लेकिन सांस की नलियों की सूजन, इंफेक्शन और बलगम के उत्पादन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। इससे आप अस्थमा का इलाज तो नहीं कर सकते पर अस्थमा के लक्षण को कंट्रोल कर सकते हैं। आप एक बार इस्तेमाल करें और तब भरोसा करें।
3. ब्रोंकाइटिस में मददगार
ब्रोंकाइटिस में आपके फेफड़ों और सांस की नलियों में सूजन आ जाती है। ये एक तरह का लंग इंफेक्शन जैसा ही होता है। ऐसे में अगर फेफड़े में कफ बहुत ज्यादा जमा हो जाए तो, कई बार सांस लेने में बहुत परेशानी होती है। तो, इस स्थिति को कम करने में सितोपलादि चूर्ण आपकी मदद कर सकता है। ये छाती में कंजेशन को कम करता है और कफ को पिघला देता है और जल्दी बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही इसका एंटी इंफ्लेमेटरी गुण फेफड़ों के सूजन को कम कर के आपको छोड़ा आराम पहुंचाता है।
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4. एलर्जी दूर करता है
कुछ लोगों को सुबह उठते ही छींक होने लगती है। ये एक प्रकार की एलर्जी है। तो, कुछ लोगों को साइन की परेशानी होता है, जिसमें कि नाक हमेशा बहती रहती है। ऐसे में सितोपलादि चूर्ण एलर्जी का इलाज करने का एक प्राकृतिक तरीका है। दरअसल, एलर्जी में हिस्टामाइन को शांत करना बेहद जरूरी होता है और सितोपलादि एंटीहिस्टामिनिक गुणों से भरपूर है जो कि ऐसे एलर्जी के लक्षणों को नियंत्रित करते में मदद करता है।
5. गीली खांसी में फायदेमंद
गीली खांसी या कफ वाली खांसी में फेफड़ों में बलगम जम जाता है। ऐसे में सितोपलादि का एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण कफ को पिघला देता है और इसे बाहर निकालने में मदद करता है। गीली खांसी होने पर लगातार कुछ दिनों तक सुबह शाम सितोपलादि का सेवन करें।
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6. सूखी खांसी में फायदेमंद
सूखी खांसी होने पर सितोपलादि इसे शांत करने में मदद करता है। ये इंफेक्शन को शांत करता है और फेफड़ों को साफ करता है। इसके अलावा, सितोपलादि चूर्ण में खांसी को शांत करने की एक शक्तिशाली क्षमता है। इसे आप लगातार कुछ दिनों को इस्तेमाल करें तो, ये सूखी खांसी को जड़ से खत्म कर देगा।
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7. पाचन तंत्र को सही रखता है
विभिन्न पाचन समस्याओं से निपटने के लिए सितोपलादि चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है। यह चमत्कारी चूर्ण पाचन, भूख को बढ़ावा देने और सिस्टम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार है। इसके अलावा, ये पित्त को भी शांत करका है और गैस और सूजन जैसी पाचन समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
8. एनीमिया का इलाज करता है
सितोपलादि चूर्ण में मौजूद सामग्री, खनिजों का एक उत्कृष्ट मिश्रण है जो हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार करने में प्रभावी है। चूर्ण का नियमित सेवन थकान, चिड़चिड़ापन और कमजोरी को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही रेगुलर सेवन करने से ये एनीमिया को ठीक करता है।
सितोपलादि चूर्ण लेने का तरीका
1. सुबह घी के साथ
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बड़े हो या बच्चे अगर आपको सर्दी-जुकाम या फिर कोई भी मौसमी कॉल्ड हो गया है तो 1 चम्मच सितोपलादि को देसी घी में मिला कर लें। अगर आप शिशु या फिर छोटे बच्चे के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो, आप इसे छोटे चम्मच में मिलाएं और उसे चटा दें। अगर वो खाना नहीं चाहता तो नाभि पर गर्म कर के लगा दें।
2. रात में शहद के साथ
सितोपलादि को अगर आप रात में ले रहे हैं या शाम को ले रहे हैं तो, इसे शहद में मिला कर लें। इसे आपको बड़े और बच्चे, दोनों के लिए ही इसी तरह से इस्तेमाल करना है।
सितोपलादि चूर्ण के तमाम फायदे के लिए आप इनका इस तरह से सेवन कर सकते हैं। पर ध्यान रहे कि ज्यादा मात्रा में इसका सेवन ना करें। इससे पेट की समस्याएं हो सकती हैं और शरीर के दोष असंतुलित हो सकते हैं।
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