चिरायता का परिचय (Introduction of Chirayta)
आपने चिरायता (chirata) के फायदे के बारे में जरूर सुना होगा। खुजली, रक्तविकार या त्वचा से संबंधित किसी तरह की बीमारी होती है तो अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि चिरायते का सेवन करो। चिरायता का स्वाद बहुत ही कड़वा होता है, लेकिन सच यह है कि जितना चिरायता का स्वाद कड़वा होता है उतना ही रोगों के इलाज में चिरायता से फायदे मिलते हैं। क्या आप जानते हैं कि चिरायता से एक-दो नहीं बल्कि कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, चिरायता एक बहुत ही उत्तम औषधी है और आप चिरायता के फायदे कई रोगों में ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि किस-किस बीमारी में चिरायता से लाभ मिलता है।
चिरायता क्या है? (What is Chirayta in Hindi?)
चिरायता का पौधा बाजार में आसानी से मिल जाता है। चिरायता (chirata) स्वाद में तीखा, ठंडा, कफ विकार को ठीक करने वाला है। यह 60-125 सेमी ऊँचा, सीधा, एक साल तक जीवित रहता है। इसके पौधे में अनेक शाखाएं होती हैं। इसके तने नारंगी, श्यामले या जामुनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे, 5-10 सेमी लम्बे, 1.8 सेमी चौड़े होते हैं। नीचे के पत्ते बड़े तथा ऊपर के पत्ते (chirota leaf) कुछ छोटे व नोंकदार होते हैं।
इसके फूल अनेक होते हैं। ये अत्यधिक छोटे, हरे-पीले रंग के होते हैं। इसके फल 6 मिमी व्यास के, अण्डाकार, नुकीले होते हैं। चिरायता की बीज संख्या में अनेक, चिकने, बहुकोणीय, 0.5 मिमी व्यास के होते हैं। चिरायते के पौधे में फूल और फल आने का समय अगस्त से नवम्बर तक होता है।
कई विद्वान कालमेघ को चिरायता मानते हैं, लेकिन दोनों पौधा आपस में भिन्न हैं। असली चिरायता अपनी जाति के अन्य चिरायतों की तुलना में बहुत ही कड़वा होता है। चिरायता की कई प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
विशेष बात यह है कि Swertia chirayita (Roxb. ex Fleming) Karst. के अतिरिक्त चिरायते की कई और प्रजातियाँ भी पाई जाती है जो इससे कम गुण वाली होती है। बाजारों में उपलब्ध चिरायता के पंचांग में कालमेघ के पंचांग की मिलावट की जाती है। इसलिए यहां चिरायता से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (chirayata in hindi) में लिखा गया है ताकि आप चिरायता से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अनेक भाषाओं में चिरायता के नाम (Name of Chirayta in Different Languages)
चिरायता का वानस्पतिक नाम Swertia chirayita (Roxb. ex Fleming) Karst. (स्वर्टिया चिरायता) Syn-Gentiana chirayita Roxb. ex Fleming है। यह Gentianaceae (जेन्शिएनेसी) कुल का पौधा है। चिरायता को देश-विदेश में अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Chirayta in –
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Hindi (chirata or chirayta in hindi) – चिरायता, चिरेता, चिरैता, नेपालीनीम, चिराइता
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Sanskrit – किराततिक्त, कैरात, कटुतिक्त, किरातक, काण्डतिक्त, अनार्यतिक्त, रामसेनक
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English – ब्राउन चिरेता (Brown chireta), व्हाइट चिरेता (White chireta), Chiretta (चिरेता)
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Urdu – चियारायता (Chiarayata)
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Oriya – चिरायता (Chirayata), चिरायिता (Chirayita)
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Kannada – नेलबेवु (Nelbaevu), किरायत (Kirayat)
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Gujarati – करियातु (Kariyatu), चिरायता (Chirayata)
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Tamil – निलावेम्बु (Nilavembu), शिरातकूच्ची (Shirattakucchi)
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Telugu – नलवेम (Nalavem), नीलवेरू (Nilveru), नीलवेम्बू (Nilavembu)
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Bengali – चिराता (Chirata), चिरेता (Chireta), महातिता (Mahatita)
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Nepali – चिराइता (Ciraaitaa), तिडा (Tidaa)
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Punjabi – चिरेता (Chireta), चिरायता (Chirayata)
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Marathi – काडेचिराईत (Kadechirait), चिराइता (Chirayita)
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Malayalam – नीलावेप्पा (Nilaveppa), उत्तरकिरियट्ट (Uttarkiriyatta)
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Arabic – कस्बुझ्झारिरा (Qasabuzzarirah), कसबूल् रायरह (Kasbul rairah)
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Persian – नोनिहाद (Nonihaad), नेनिल आवंदी (Nenilawandi)
चिरायता के फायदे और उपयोग (Chirayta Benefits and Uses in Hindi)
आप चिरायता (chirayata) के गुण से निम्न रोगों में लाभ पा सकते हैंः-
आंखों के रोग में चिरायता के फायदे (Chirayta Benefits to Treat Eye Disease in Hindi)
चिरायता के फल में पिप्पली पेस्ट और सौवीराञ्जन मिलाकर रख लें। एक सप्ताह के बाद मातुलुंग के रस में पीस लें। इसे रोजाना काजल की तरह लगाने से आंखों की बीमारी (पिष्टक) में लाभ होता है।
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चिरायता के औषधीय गुण से स्तनों में दूध की वृद्धि (Benefits of Chirayta in Increasing Breast Milk in Hindi)
- चिरायता, कटुरोहिणी, सारिवा आदि का काढ़ा बना लें। इसे 15-30 मिली की मात्रा में सेवन करने से स्तनों का दूध शुद्ध होता है।
- केवल चिरायता का काढ़ा (chirayata patanjali) 15-30 मिली पीने से भी स्तनों के दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।
- बराबर मात्रा में चिरायता, सोंठ तथा गुडूची के 15-30 मिली काढ़ा का सेवन करने से भी माताओं के स्तन के दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।
चिरायता के औषधीय गुण से भूख में वृद्धि (Chirayta Benefits in Appetite Problem in Hindi)
चिरायता का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली मात्रा में पिलाने से भूख बढ़ती है। इससे पाचन-शक्ति बढ़ती (chirata ke fayde) है।
अत्यधित त्यास लगने की परेशानी में चिरायता के सेवन से लाभ (Chirayta Uses in Excessive Thirsty Problem in Hindi)
चिरायता, गुडूची, सुगन्धबाला, धनिया, पटोल आदि औषधियों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में लाभ होता है।
चिरायता के सेवन से खांसी का इलाज (Chirayta Uses in Fighting with Cough in Hindi)
चिरायता का पौधा (Chirata plant) खांसी के इलाज में भी काम आता है। चिरायता का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली की मात्रा में पिएं। इससे खांसी में लाभ होता है। इससे आंत में रहने वाले कीड़े खत्म होते हैं।
पेट में कीड़े होने पर चिरायता से लाभ (Benefits of Chirayta for Abdominal Worm in Hindi)
चिरायता के गुण पेट के कीड़ों को भी खत्म (Chirata ke fayde) करते हैं। सुबह भोजन के पहले (5-10 मिली) चिरायता के रस में मधु मिश्रित कर सेवन करने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
चिरायता के औषधीय गुण से पेचिश रोग का इलाज (Uses of Chirayta in Dysentery Treatment in Hindi)
आप चिरायता पीने के फायदे पेचिश रोग में भी ले सकते हैं। 2-4 ग्राम किराततिक्तादि चूर्ण में दोगुना मधु मिला लें। इसका सेवन करने से पेचिश रोग ठीक होता है।
दस्त में चिरायता के फायदे (Uses of Chirayta to Stop Diarrhea in Hindi)
- दस्त को रोकने के लिए भी चिरायता (chirota leaf) फायदेमंद होता है। इसके लिए बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, नागरमोथा, इन्द्रजौ तथा रसाञ्जन के चूर्ण (2-4 ग्राम) लें। आप इनकी जगह पेस्ट भी ले सकते हैं। इसमें मधु मिला लें। इसे चाट लें। इसके बाद चावल के धुले हुए पानी को पिएं। इससे पित्त विकार के कारण होने वाली दस्त पर रोक लगती है।
- 2-4 ग्राम बेल गिरी का चूर्ण खाकर ऊपर से चिरायते का काढ़ा पीने से दस्त में लाभ होता है।
पीलिया और एनीमिया रोग में चिरायता से लाभ (Benefits of Chirata in Fighting with Jaundice
and Anemia in Hindi)
अडूसा, चिरायता (chirota leaf), कुटकी, त्रिफला, गिलोय तथा नीम की छाल का काढ़ा बना लें। 15-20 मिली काढ़ा में मधु डालकर पिलाने से कामला तथा पाण्डु (पीलिया या एनीमिया) रोग में लाभ होता है।
और पढ़ें: पीलिया रोग में गिलोय से फायदा
आमाशय से रक्तस्राव की बीमारी में चिरायता के सेवन से लाभ (Chirayta Benefits in Gastric Bleeding in Hindi)
चिरायता का पौधा (Chirata plant) रक्तस्राव को रोकने में भी काम आता है। 1-2 ग्राम चंदन के पेस्ट के साथ 5 मिली चिरायता का रस मिला लें। इसका सेवन करने से आमाशय से रक्तस्राव की समस्या ठीक होती है।
पाचनतंत्र विकार में चिरायता के फायदे (Benefits of Chirayta in Digestive Problem in Hindi)
रोजाना सुबह खाली पेट, चिरायता हिम (10-30 मिली) अथवा काढ़ा का सेवन करने से पाचन-क्रिया ठीक होती है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
पेट के दर्द में चिरायता के सेवन से लाभ (Uses of Chirayta in Fighting with Abdominal Pain in Hindi)
चिरायता के फायदे (Chirata ke fayde) की बात की जाए तो यह पेट के दर्द से भी आराम दिलाता है। चिरायता तथा एरण्ड की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।
लिवर विकार में चिरायता से लाभ (Chirata Uses in Liver Disorder in Hindi)
चिरायता का पौधा (Chirata plant) लें। इससे बने चूर्ण, पेस्ट, काढ़े का सेवन करने से लिवर की सूजन ठीक होती है।
चिरायता के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज (Chirata Benefits in Piles Treatment in Hindi)
- चिरायता पीने के फायदे बवासीर की बीमारी में ले सकते हैं। बराबर मात्रा में दारुहल्दी, चिरायता (chirota leaf), नागरमोथा तथा धमासा के चूर्ण (2-4 ग्राम) का सेवन करने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) में लाभ हाता है।
- चिरायता, सोंठ, धन्वयास, कुंदन आदि द्रव्यों से काढ़ा बना लें। काढ़ा को 10-30 मिली की मात्रा में सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ (chirayata ke fayde) होता है।
विसर्प (चर्म रोग) रोग में चिरायता के फायदे (Benefits of Chirata in Herpes Treatment in Hindi)
बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, लोध्र, चन्दन, दुरालभा, सोंठ, कमल लें। इसके साथ ही केशर, नीलकमल, बहेड़ा, मुलेठी तथा नागकेशर लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 200 मिली जल में पका लें। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इसे 5-10 मिली मात्रा में पीने से विसर्प रोग (त्वचा रोग) में लाभ होता है।
बुखार उतारने के लिए चिरायता का सेवन फायदेमंद (Uses of Chirata in Fighting with Fever in Hindi)
- चिरायता पीने के फायदे बुखार (Chirata ke fayde) में भी मिलता है। चिरायता तथा धनिया के हरे पत्तों से काढ़ा बना लें। इसे (10-20 मिली) की मात्रा में पीने से बुखार में शीघ्र लाभ होता है।
- बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, नागरमोथा, गुडूची तथा सोंठ के काढ़े का सेवन करें। इससे बुखार, अत्यधिक प्यास, भूख की कमी, बुखार एवं मुंह का स्वाद ठीक होता है।
- बराबर मात्रा में चिरायता, कुटकी, नागरमोथा, पित्तपापड़ा तथा गुडूची का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में रोजाना सेवन करने से बार-बार आने वाला बुखार ठीक होता है।
- बराबर मात्रा में चिरायता, गुडूची, द्राक्षा, आँवला तथा कचूर के (10-30 मिली) काढ़े में गुड़ मिलाकर पिएं। इससे वात-पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
- 750 ग्राम चिरायता चूर्ण तथा 50 ग्राम साबुत पिप्पली को चार गुने जल में तब तक उबालें, जब तक कि पूरा जल सूख न जाए। बचे हुए पिप्पली को छाया में सुखा लें। इसे चूर्ण बनाकर 1-2 ग्राम मात्रा में मधु के साथ सेवन करने से बुखार में लाभ होता है।
- 2-4 ग्राम चिरायता चूर्ण में मधु मिलाकर खाने से सभी प्रकार का बुखार का ठीक होता है।
- बराबर मात्रा में चिरायता (chirota leaf), नीम, गुडूची, त्रिफला तथा आमाहल्दी के (20-30 मिली) काढ़े का सेवन करें। इससे पित्तज दोष के कारण आने वाला बुखार, आंतों के कीड़े, दाह, तथा त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।
- चिरायता, नीमगिलोय, देवदारु, हरड़, पीपर, हल्दी, दारुहल्दी, हरड़, बहेड़ा, आँवला, करंज के बीज की मज्जा लें। इसके साथ ही सोंठ, काली मिर्च, पीपर, प्रियंगु, रास्ना, अर्कमूलत्वक्, वायविडंग, कुटकी तथा दशमूल ले। इनका काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से पित्त, कफ विकार के कारण आने वाले बुखार में लाभ होता है।
- चिरायता, सैंधव, सोंठ, कूठ, चन्दन तथा नेत्रबाला को पीस लें। इसे सिर पर लेप करने से बुखार ठीक हो जाता है।
- बराबर मात्रा में चिरायता, कुटकी, नागरमोथा, धनिया, इन्द्रयव लें। इसके साथ ही शुण्ठी, देवदारु तथा गजपीपल लें। इनका काढ़ा बना लें। 10-30 मिली में काढ़ा का सेवन करें। इससे पसलियों का दर्द, सन्निपातबुखार, खांसी, साँस फूलना, उलटी, हिचकी, तन्द्रा तथा हृदय विकार आदि में लाभ होता है।
सूजन की समस्या में चिरायता से लाभ (Chirayta Uses to Get Relief from Swelling in Hindi)
- चिरायता तथा सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर पुनर्नवा के काढ़ा के साथ मिलाकर पिएं। इससे सूजन कम होती है।
- बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता (chirayata) तथा सोंठ चूर्ण को गुनगुने जल के साथ 2-4 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे त्रिदोष के कारण होने वाली सूजन की बीमारी में लाभ होता है। इससे पुरानी सूजन भी ठीक हो जाती है।
- सोंठ तथा चिरायता को बिम्बी के रस में मिला लें। इसका लेप करने से सूजन की समस्या ठीक हो जाती है।
रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहना) में चिरायता का औषधीय गुण फायदेमंद (Chirata Benefits in Bleeding Problem in Hindi)
रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहने की परेशानी) में 2-4 ग्राम किराततिक्तादि चूर्ण का सेवन करें। इससे लाभ होता है।
प्रतिरक्षा तंत्री यानि इम्युनिटी को मजबूत बनाने में चिरायता फायदेमंद (Chirayta Benefits to Boost Immunity in Hindi)
चिरायता का सेवन प्रतिरक्षा तंत्र की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि चिरायता में इम्युनो-मॉडुलेटरी का गुण पाया जाता है जिस कारण इसका निरन्तर सेवन प्रतिरक्षा तंत्र को मजूबती प्रदान करने में मदद करता है।
रक्तशोधक के रूप में चिरायता फायदेमंद (Benefits of Chirayta in Blood Purification in Hindi)
अगर आप रक्त में अशुद्धियाँ या टॉक्सिन्स होने के कारण होने वाले रोग से परेशान है तो चिरायते का सेवन आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार चिरायता में रक्तशोधक का गुण पाया जाता है। इसलिए चिरायता का सेवन रक्त के अशुद्ध से होने वाले रोगों के उपचार में फायदेमंद होता है।
लीवर के समस्याओं में चिरायता लाभकारी (Chirayta Beneficial in Liver related Issues in Hindi)
चिरायता लीवर संबंधी समस्याओं के लिए रामबाण औषधि है, क्योंकि चिरायता में हेपटो -प्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है जो कि लीवर को स्वस्थ्य बनाये रखने में मदद करता है।
कब्ज में चिरायता के फायदे (Benefits of Chirayta to Get Relief from Constipation in Hindi)
अगर आप कब्ज से परेशान है और कोई औषधि काम नहीं कर रही है तो चिरायता आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार चिरायता में लैक्सटिव का गुण पाया जाता है इसलिए चिरायता का सेवन कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
त्वचा रोगों में चिरायता गुणकारी (Chirayta Beneficial to Treat Skin Diseases in Hindi)
त्वचा रोगों में चिरायता का प्रयोग फायदेमंद होता है। चिरायता के पचांग का लेप घाव को जल्द भरने में मदद करता है क्योंकि चिरायता में रोपण (हीलिंग) का गुण पाया जाता है जो कि घाव को भरने में मदद करता है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में चिरायता फायदेमंद (Benefit of Chirayta to Control Blood Sugar in Hindi)
शुगर को नियंत्रित करने के लिए चिरायता एक प्रसिद्ध औषधि है, क्योंकि चिरायता में एंटी डायबिटिक क्रियाशीलता पायी जाती है साथ ही चिरायता में तिक्त रस होने के कारण भी चिरायता मधुमेह में फ़ायदेमदं होता है।
गठिया का दर्द करे कम चिरायता (Beneficial of Chirayta to Get Relief from Gout in Hindi)
गठिया की समस्या से परेशान लोगो के लिये चिरायता का उपयोग फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि चिरायता में एंटी आर्थराइटिस का गुण पाया जाता है। चिरायते का प्रयोग करने से गठिया के कारण होने वाले दर्द में भी आराम होता है।
पेट में गैस या ब्लॉटिंग की समस्या से दिलाये राहत चिरायता (Chirayta Beneficial to Treat Bloating in Hindi)
चिरायता पाचन संबंधी विकार जैसे ब्लोटिंग में फायदेमंद होता है, क्योंकि ये पाचन शक्ति को बढ़ाकर खाने को पचने में मदद करता है और ब्लोटिंग जैसी समस्या को दूर करता है।
कैंसर के इलाज में फायदेमंद चिरायता (Benefit of Chirayta to Treat Cancer in Hindi)
चिरायता में कैंसररोधी गुण पाया जाता है, इसलिए कैंसर को फैलने से रोकने के लिये चिरायता का प्रयोग कर सकते है।
कुबड़ापन की बीमारी में चिरायता का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Chirayta in Hump in Hindi)
चिरायता (chiraita) को पीसकर उसमें मधु मिला लें। इसे गर्मकर लेप करने से कुबड़ेपन वाली जगह पर लगाएं। इससे लाभ होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
चिरायता के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Chirayta in Hindi)
- चिरायता की जड़ (chirayata roots)
- पंचांग (chirayata)
और पढ़ें: कालमेघ के फायदे
चिरायता का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Chirayta?)
- चूर्ण – 1-3 ग्राम
- काढ़ा – 20-30 मिली
यहां चिरायता से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (chirayata in hindi) में लिखा गया है ताकि आप चिरायता से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में चिरायता का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
चिरायता कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Chirayta Found or Grown in Hindi?)
चिरायता का पौधा (chirayata plant) भारत में यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा असम तक पाया जाता है। यह 1200 से 3000 मीटर की ऊँचाई पर एवं मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत आदि के पर्वतीय प्रदेशों में 1200-1500 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
पतंजलि के चिरायता से बने उत्पाद कहां से खरीदें ? (Where to Buy Patanjali Chirayata Product?)
चिरायता युक्त पतंजलि गंगाधर चूर्ण (patanjali divya gangadhar churna) खरीदने के लिए यहां क्लिक करें। इसके साथ ही आप पतंजलि के चिरायता से बने अन्य उत्पाद बाजार से खरीद सकते हैं। यह आसानी से मिल जाता है।
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