Gayatri Mantra Ke Fayde शास्त्रों में गायत्री मंत्र को एक महामंत्र कहा जाता हैं, गायत्री मंत्र की रचना महर्षि विश्वामित्र के द्वारा हुई है, साथ हीं हमारे धर्म ग्रंथों में से ऋगवेद का प्रारंभ भी गायत्री मंत्र से हीं होता हैं, गायत्री मंत्र वेदों की देवी गायत्री को समर्पित हैं। गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति देवी गायत्री की कृपा प्राप्त करता हैं जीवन में अद्भुत लाभ प्राप्त करता है।
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गायत्री मंत्र के फायदे – Gayatri Mantra Benefits Hindi
- नकारत्मकता दूर रहती हैं।
- मुख पर तेज आता है।
- क्रोध काम आता है।
- अगर तीन साल तक आलस्य रहित होकर व्यक्ती गायत्री मंत्र का जाप करता है। तो वह आकाश स्वरूप होकर ब्रम्ह हो प्राप्त होता है और परमानंद की अवस्था प्राप्त करता है।
- उपवास पूर्वक गायत्री मंत्र जाप करने वाला अपने पापों से मुक्ति पता है।
- मां गायत्री की समर्पण सह भक्ति कर गायत्री मंत्र जप से गौ वध, मात्र वध, पितृवध, ब्रम्ह हत्या, गुरुपत्नी गमन, ब्राम्हण की जीविका का अपहरण करना, चोरी करना , सुरापन मदिरापान इन सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती हैं।
- देवी गायत्री धनसंपदा, आरोग्य, सुख ,शांति, समृद्धि के आशीर्वाद अपने भक्तों को देती हैं।
- गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति को अपने क्षेत्र में उन्नति कर सकता है, अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्त हो सकता हैं।
- नियमित गायत्री मंत्र जाप से व्यक्ति समस्त तनाव से मुक्त होकर मानसिक शांति प्राप्तकर्ता हैं।
- गायत्री मंत्र जाप से व्यक्ति पर परमपिता ब्रह्मा जी की कृपा बरसती हैं।
- विद्यार्थियों के लिए गायत्री मंत्र बोहोत ही लाभदायक कहां जाता हैं, और विद्या का ग्रहण करने के लिए प्राचीन काल से गायत्री मंत्र का जाप करते हैं।
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गायत्री मंत्र का अर्थ
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।।
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अर्थ – ॐ – प्रणव अक्षर; भू – भू लोक; भुव – अंतरिक्ष या ग्रह मंडल; स्व – स्वर्ग लोक; तत् – परमात्म; सवित – सूर्य; र्वरेण्यं – परम पद स्वरूप जो वंदना करने योग्य हैं; भर्गो – तेज, प्रकाश का या तेजस्वी; देवस्य – देवताओं का; धीमहि – ध्यान करते है; धियो – बुद्धि; यो – जो की; नः – हमारी; प्रचोदयात् – सन्मार्ग पर प्रेरित करें;
सम्पूर्ण अर्थ – हमारा पृथ्वीमंडल , ग्रहमंडल, अंतरिक्ष मंडल, तथा सभी आकाशगंगा के गतिशीलता से उत्पन्न महान शोर ही ईश्वर की प्रथम पहचान और प्रणव अक्षर ॐ हैं। और वह परमात्मा वंदनीय है । उस तेजस्वी परमात्मा का हम ध्यान करते हैं और प्रार्थना करते है वह हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर लगाए रखें।
अन्य अर्थ – हम उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का ध्यान करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को संमार्ग में प्रेरित करे।
गायत्री मंत्र जाप का सही तरीका
इस मंत्र को आप दिन में तीन बार जाप कर सकते हैं। प्रातकाल में सूर्योदय होने से थोड़ा पहले से सूर्योदय पूर्ण होने तक गायत्री मंत्र का जाप करना जीवन में कभी लाभदायक होता हैं, गायत्री मंत्र का जाप दोपहर को भी कर सकते हैं , और संध्याकाल में सूर्यास्त होने से थोड़ा पहले सूर्यास्त होने तक गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।
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मंत्र जाप करते समय ध्यान की अवस्था में बैठिए और अपने पीठ को सीधा रखिए, मंत्र जाप करते समय आवाज ना करें और मन में ही मंत्र का जाप करें, मंत्र जप करते समय अपने होटों को मंत्र के साथ एकाग्र कीजिए।
FAQ,
गायत्री मंत्र जाप से क्या फल मिलता है?
गायत्री मंत्र जाप से व्यक्ति के जीवन सुख शांति अति हैं, नकारात्मकता दूर रहती है, घोर पापों से मुक्ति मिलती हैं।
गायत्री मंत्र का गलत तरीका कोनसा है?
गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा गया है, इसका श्रद्धा पूर्वक जाप करना चाइए , गायत्री मंत्र को बजाना नही इससे गायत्री मंत्र का अपमान होता है।
गायत्री मंत्र का अर्थ क्या है?
हम उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का ध्यान करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में लगाए रखें।
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