अंगूर का फल हर उम्र के लोगों को पसंद आता है। यह छोटा सा फल सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। आयुर्वेद में अंगूर के फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार अंगूर, फाइबर, विटामिन सी, विटामिन ई, मैग्नीशियम, साइट्रिक एसिड जैसे पोषक तत्वों का भंडार है।
अंगूर क्या है? (What is Grapes?)
अंगूर का पेड़ भारत के कई हिस्सों में पाया जाता है और इस पेड़ का हर हिस्सा सेहत के लिए लाभदायक है। यूनानी और अरबी ग्रंथों में भी अंगूर के फायदों का जिक्र मिलता है। रंग,आकार तथा स्वाद के अनुसार अंगूर की कई किस्में पायी जाती हैं, जिनमें काले अंगूर, बैंगनी रंग के अंगूर और लम्बे वाले अंगूर प्रमुख हैं। बिना बीज वाले छोटे अंगूर को ही सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। इस लेख में आगे हम आपको अंगूर के फायदे और उपयोग से जुड़ी जानकारी विस्तार से बता रहे हैं।
अन्य भाषाओं में अंगूर के नाम (Name of Grape in Different Languages)
अंगूर का वानस्पतिक नाम Vitis vinifera Linn। (वाइटिस वाइनिफेरा) है और यह Vitaceae (वाइटेसी) कुल का पौधा है। आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में अंगूर को किन नामों से पुकारा जाता है।
Grape in :
- English : Grapes (ग्रेप्स), कॉमन ग्रेप वाइन (Common grape vine);
- Sanskrit – द्राक्षा, स्वादुफला, मधुरसा, मृद्वीका, गोस्तनी, स्वाद्वी
- Hindi – दाख, मुनकका, द्राक्ष, अंगूर
- Urdu –अंगूर (Angur)
- Odia : द्राक्या (Drakya), गोस्तोनी (Gostoni)
- Kannad -द्राक्षा (Draksha), अंगूर (Angoor)
- Konkani – धाकू (Dhaku)
- Gujrati – धराख (Dharakh), दराख (Darakh)
- Tamil – कोट्टन (Kottan), कोडीमुन्दरी (Kodimundiri)
- Telugu : द्राक्षा (Draksha), गोस्तनी द्राक्षा (Gostanidraksha)
- Bengali : मनेका (Maneka), अंगूरफल (Angurphal)
- Punjabi : अंगूर (Angur), बूरी (Buri)
- Marathi : अंगूर (Angoor), द्राक्ष (Draksha)
- Malyalam : गोस्तनी (Gostani), मुन्टीरी (Muntiri)
- Arbi : एनाएब (Aenaeb), एनब (Ainab), हबुस् सजीव (Habus sajiv), अब-जोश (Ab-josh)
- Persian : अंगूर (Angur), मवेज (Mavez)
अंगूर के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Grapes in Hindi)
अंगूर के पके फल शीतल, नेत्रों को हितकारी, पुष्टिकारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाले, कषाय, मल तथा मूत्र को निकालने वाले, वीर्यवर्धक, पौष्टिक, कफकारक तथा रुचिकारक है। यह प्यास, बुखार, खांसी वातरक्त, पीलिया आदि रोगों में उपयोगी है। कच्चा अंगूर गुणों में हीन, भारी तथा कफपित्तशामक होता है। काली दाख या गोल मुनक्का-वीर्यवर्धक, भारी और कफपित्तशामक है।
किशमिश : बिना बीज की छोटी किशमिश मधुर, शीतल, वीर्यवर्धक और स्वादिष्ट होती है। यह खांसी, बुखार, रक्तपित्त आदि रोगों में उपयोगी है और यह मुंह के कड़वेपन को दूर करती है।
अंगूर के ताजे फल खून को पतला करने, छाती के रोगों में लाभ पहुँचाने वाले और बहुत जल्दी पचने वाले गुणों से युक्त होते हैं। यह खून को साफ़ करते हैं और शरीर में खून बढ़ाने में मदद करते हैं।
अंगूर के फूल कफनिसारक, आर्तववर्धक तथा रक्तवर्धक होते हैं।
अंगूर के बीज शीतल, स्वेदल तथा कषाय होते हैं।
अंगूर के पत्ते अतिसारनाशक तथा स्तम्भक होते हैं।
अंगूर के फायदे एवं उपयोग (Uses and Benefits of Grapes in Hindi)
ऊपर बताए गए औषधीय गुणों के कारण ही अंगूर कई तरह की बीमारियों में लाभ पहुंचाता है। आइये जानते हैं कि किन रोगों के घरेलू इलाज के लिए आप अंगूर का उपयोग कर सकते हैं।
सिरदर्द से आराम दिलाता है अंगूर (Grapes Benefits for Headache in Hindi)
अंगूर का उपयोग करके आप सिरदर्द से आराम पा सकते हैं, इसके लिए 8-10 मुनक्का, 10 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम मुलेठी को पीसकर नाक में डालें। इससे सिरदर्द से जल्दी आराम मिलता है।
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नाक से खून बहने की समस्या रोकता है अंगूर (Grape Stops Nose Bleeding in Hindi)
गर्मियों के मौसम में कुछ लोगों को नाक से खून बहने की शिकायत होने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित हैं तो अंगूर का रस 2-2 बूंद नाक में डालें। इससे नाक से खून बहना बंद हो जाता है।
मुंह के रोगों में लाभदायक है अंगूर (Grape Benefits for Oral Problems in Hindi)
10 मुनक्का और 3-4 ग्राम जामुन की पत्तियां लें और पानी में उबालकर इसका काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से दांतों का दर्द ठीक होता है और मुंह की बदबू दूर होती है। कई बार अपच के कारण भी मुंह से दुर्गंध आने लगती है। इससे निजात पाने के लिए रोजाना 5-10 ग्राम मुनक्का खाएं।
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थायराइड के इलाज में सहायक है अंगूर (Uses of Grapes in Thyroid Treatment in Hindi)
थायराइड के मरीजों के लिए अंगूर काफी लाभदायक है। अंगूर के 10 एमएल रस में 1 ग्राम हरड़ चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम नियमपूर्वक पीने से थायराइड में लाभ मिलता है।
गले की जलन और सूजन दूर करता है अंगूर (Grapes Reduces Throat Inflamation in Hindi)
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अगर आप गले में जलन और सूजन से परेशान हैं तो इससे बचाव के लिए अंगूर के रस से गरारे करें।
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उल्टी रोकने के लिए करें अंगूर का प्रयोग (Grape Helps to Stop Vomiting in Hindi)
उल्टी रोकने के लिए 1 ग्राम मिश्री, 500 मिग्रा पीपर, 1 ग्राम मुनक्का तथा 1 ग्राम तिल को शहद के साथ सेवन करें।
और पढ़ेंः उल्टी को रोकने के घरेलू उपाय
सर्दी-खांसी से राहत के लिए करें अंगूर का उपयोग (Grape Benefits for Cold and Cough in Hindi)
मुनक्का और हरीतकी से निर्मित 40-60 मिली काढ़े में 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से सर्दी-खांसी में लाभ होता है।
1 ग्राम मिश्री, 500 मिग्रा पीपर, 1 ग्राम मुनक्का तथा 1 ग्राम तिल को शहद के साथ सेवन करें। इससे सर्दी-खांसी से जल्दी आराम मिलता है।
अंगूर, आँवला, खजूर, पिप्पली तथा काली मिर्च, इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसके सेवन से सूखी खांसी तथा कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय
सीने के दर्द से राहत दिलाने में लाभकारी है अंगूर (Grape Benefits for Reducing Chest Pain in Hindi)
10-10 ग्राम मुनक्का और धान की खील को 100 मिली जल में भिगो दें। 2 घंटे बाद मसल छानकर उसमें मिश्री और शहद मिलाकर सेवन करने से सीने के दर्द से आराम मिलता है।
टीबी के मरीजों के लिए अंगूर के फायदे (Uses of Grapes in Treatment of TB in Hindi)
घी, खजूर, मुनक्का, मिश्री, शहद और पिप्पली, इन सबका पेस्ट बनाकर सेवन करें। यह मिश्रण टीबी के इलाज में बहुत लाभदायक है।
बराबर मात्रा में अंगूर, मिश्री एवं पिप्पली के चूर्ण (2-4 ग्राम) में तिल का तेल और शहद मिलाकर सेवन करने से टीबी रोग में लाभ होता है।
और पढ़ेंः टीबी रोग के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज
दिल के दर्द से आराम दिलाती है अंगूर (Grapes reduces Heart pain in Hindi)
दिल में दर्द होने पर अंगूर का उपयोग करना लाभदायक रहता है। दिल के दर्द से आराम पाने के लिए 3 भाग मुनक्का के गूदे में 1 भाग शहद तथा 1/2 भाग लौंग मिलाकर कुछ दिन तक इसका सेवन करें।
कब्ज़ दूर करने में अंगूर के फायदे ( Benefits of Grapes for Constipation in Hindi)
10-20 नग मुनक्कों को साफ कर, बीज निकालकर, 200 मिली दूध में अच्छे से उबाल लें। उबालने के बाद जब मुनक्के फूल जाएं तो सुबह दूध और मुनक्के का सेवन करें। इससे कब्ज की समस्या दूर होती है और मलत्याग में कठिनाई नहीं आती है।
10-20 नग मुनक्का, 5 नग अंजीर, सौंफ, सनाय, अमलतास का गूदा 3-3 ग्राम तथा गुलाब के फूल 3 ग्राम, इन सबका काढ़ा बनाकर सुबह गुलकन्द मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और पेट आसानी से साफ़ होता है।
पेट साफ़ करने के लिए रात में सोने से पहले 10-20 नग मुनक्कों को थोड़े घी में भूनकर चुटकी भर सेंधानमक मिलाकर सेवन करें।
7 नग मुनक्का, 5 नग काली मिर्च, 10 ग्राम भुना जीरा तथा 6 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर चटनी बनाकर चाटने से कब्ज और भूख ना लगने की समस्या दूर होती है।
और पढ़ेंः कब्ज के लिए फायदेमंद घरेलू उपाय
पेट दर्द दूर करने के लिए अंगूर का उपयोग (Grapes Helps in Reducing Stomach Pain in Hindi)
अंगूर और अडूसे का काढ़ा बनाकर 40-60 मिली मात्रा में पिलाने से उदरशूल का शमन होता है।
एसिडिटी दूर करने के लिए अंगूर का उपयोग (Uses of Grapes to get rid of Acidity in Hindi)
दाख तथा हरड़ बराबर-बराबर लें। इसमें दोनों के बराबर शक्कर मिलाएं, सबको मिलाक्लर पीस लें। इसकी 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर एक-एक गोली सुबह और शाम ठंडे पानी के साथ सेवन करने से एसिडिटी से राहत मिलती है।
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10 ग्राम मुनक्का और 5 ग्राम सौंफ को 100 मिली पानी में भिगो दें। सुबह इसे मसल कर छानकर पिएं, इससे एसिडिटी में आराम मिलता है।
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खूनी बवासीर में अंगूर के फायदे (Grapes Benefits for Piles in Hindi)
अंगूरों के गुच्छों को हांडी में बन्द कर भस्म बना लें। 1-2 ग्राम भस्म में बराबर मिश्री मिलाकर, 5 ग्राम गाय के घी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में खून निकलना बंद हो जाता है।
पीलिया में करें अंगूर का उपयोग (Uses of Grapes in Treatment of Jaundice in Hindi)
500 ग्राम मुनक्का का पेस्ट (पत्थर पर पिसा हुआ), 2 किग्रा पुराना घी और 8 ली पानी, सबको एकसाथ मिलाकर पकाएं। पकाने के बाद जब केवल घी बच जाए तो उसे छानकर रख लें। रोजाना 3 से 10 ग्राम मात्रा में इसका सेवन करने से पीलिया में फायदा मिलता है।
पथरी के इलाज में अंगूर के फायदे (Benefits of Grapes in Treatment of Stone Problem in Hindi)
काले अंगूर की भस्म को पानी में घोलकर या 40-50 मिली गोखरू काढ़े या 10-20 मिली अंगूर के रस के साथ पिलाने से पथरी नष्ट होती है।
8-10 नग मुनक्कों को काली मिर्च के साथ पीसकर पिलाने से पथरी टूट-टूट कर निकल जाती हैं।
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पेशाब के दौरान दर्द की समस्या से राहत दिलाती है अंगूर (Grapes uses in UTI Treatment in Hindi)
8-10 मुनक्कों एवं 10-20 ग्राम मिश्री को पीसकर, दही के पानी में मिलाकर पीने से पेशाब करते समय दर्द की समस्या से आराम मिलता है।
मुनक्का (12 ग्राम), पाषाणभेद, पुनर्नवामूल तथा अमलतास गूदा (6-6 ग्राम) को जौकुट कर, आधा लीटर पानी में अष्टमांश क्वाथ सिद्ध कर पिलाने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।
अंडकोष बढ़ जाने की समस्या को ठीक करता है अंगूर (Benefits of Grapes in Treatment of Swollen Testicles in Hindi)
कई लोग अंडकोष का आकार बढ़ जाने की समस्या से परेशान रहते हैं उनके लिए अंगूर काफी उपयोगी फल है। इसके लिए अंगूर के 5-6 पत्तों पर घी लगाकर आग पर गर्मकर अण्डकोषों में बांधने से सूजन में कमी आती है।
बेहोशी की समस्या से राहत दिलाए अंगूर (Benefits of Grapes in Unconsciousness in Hindi)
दाख और आँवलों को समान मात्रा में लेकर, उबालकर, पीसकर थोड़ा शुंठी चूर्ण मिलाकर, शहद के साथ चाटने से बुखार में होने वाली बेहोशी में लाभ होता है।
25 ग्राम मुनक्का, 12 ग्राम मिश्री, 12 ग्राम अनार की छाल और 12 ग्राम खस को यवकुट कर 500 मिली पानी में रात भर भिगो दें। सुबह इसे छानकर, 3 खुराक बनाकर दिन में 3 बार पिला दें। इसके प्रयोग से बेहोशी में लाभ होता है।
100-200 ग्राम मुनक्का को घी में भूनकर थोड़ा सेंधानमक मिलाकर, रोजाना 5-10 ग्राम तक खाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।
रक्तपित्त ( नाक-कान आदि से रक्तस्राव) की समस्या से आराम दिलाता है अंगूर :
गर्मियों के मौसम में कई लोगों को नाक-कान से खून बहने की समस्या होती है। अंगूर इस समस्या से आराम दिलाने में बहुत उपयोगी है। रक्तपित्त की समस्या से आराम पाने के लिए इस तरह अंगूर का उपयोग करें।
- 10 ग्राम किसमिस, 160 मिली दूध तथा 640 मिली पानी, तीनों को धीमी अग्नि पर पकाएं। 160 मिली शेष रहने पर थोड़ी मिश्री मिलाकर सुबह शाम सेवन करें। इसके प्रयोग से रक्तपित्त की समस्या खत्म होती है।
- 10-10 ग्राम मुनक्का, मुलेठी तथा गिलोय लेकर कूटकर 500 मिली जल में पकाकर काढा बनाएं और 20-30 मिली मात्रा में सेवन करें।
- 10 ग्राम मुनक्का, 10 ग्राम गूलर की जड़ तथा 10 ग्राम धमासा लेकर इसे कूटकर कर काढ़ा बना लें। 20-30 मिली मात्रा में सेवन करने से रक्तपित्त, दाह, और कफ के साथ खांसने पर खून निकलना आदि रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
- अंगूर के 50-100 मिली रस में 10 ग्राम घी और 20 ग्राम खांड मिलाकर पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
- मुनक्का और पके गूलर के फल को बराबर-बराबर लेकर पीसकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
- 1 भाग मुनक्का तथा 1 भाग हरड़ को पानी के साथ पीसकर 200 मिली बकरी के दूध के साथ पिलाएं। इसके प्रयोग से रक्तपित्त में लाभ होता है।
- अंगूर तथा अमलतास के फलों से निर्मित काढ़ा (20-40 मिली) का सेवन करने से पित्त से होने वाले बुखार में आराम मिलता है।
अंगूर के उपयोगी भाग (Useful Parts of Grape)
अंगूर के पेड़ के निम्न भागों का उपयोग किया जाता है।
- पंचांग
- पके फल
- सूखे फल
- पत्तियां
- फूल
- काण्ड
अंगूर का इस्तेमाल कैसे करें (How to Use Grapes in Hindi)
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य तौर पर अंगूर का इस्तेमाल नीचे बताई गयी मात्रा के अनुसार करना चाहिए।
अंगूर : 10-20 ग्राम
अंगूर का रस : 50-100 मिली
काढ़ा 10-30 मिली
हिम 10-20 मिली
अंगूर कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Grape Found or Grown in Hindi)
भारत में जम्मू-काश्मीर, पंजाब, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात एवं हरियाणा में अंगूर की खेती की जाती है।
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Danh mục: फ़ायदा