हनुमान जी को 11वां रुद्रावतार कहा जाता है. उन्हें महावीर, संकटमोचन जैसे नामों से पुकारा जाता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा करता है, वे उसके सभी संकट हर लेते हैं. शनि से जुड़े कष्ट भी उसे नहीं सताते हैं. लेकिन आपने हनुमान बाबा की पूजा को लेकर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण आदि की महिमा के बारे में सुना होगा.
क्या आप हनुमान बाहुक के बारे में जानते हैं? ये तुलसीदास द्वारा रचित एक ऐसी चमत्कारी रचना है जो व्यक्ति की शारीरिक व्याधियों को हर लेती है. इतना ही नहीं, धन, संतान, नौकरी आदि किसी भी तरह का संकट श्रद्धापूर्वक इसका नियमित पाठ करने से दूर हो सकता है. जानिए हनुमान बाहुक की महिमा के बारे में.
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तुलसीदास का कष्ट हुआ था दूर
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कहा जाता है कि एक बार गोस्वामी तुलसी दास जी बहुत ज्यादा बीमार हो गए. उनकी तकलीफ बहुत बढ़ चुकी थी और उनके हाथ में दर्द असहनीय था. तब उन्होंने हनुमान बाबा को याद करते समय एक स्तुति की थी. इससे प्रसन्न होकर हनुमान बाबा ने उनके कष्टों को दूर कर दिया था. 44 चरणों की वो स्तुति हनुमान बाहुक ही थी, जिसके शब्दों ने हनुमान जी को भी कष्ट दूर करने के लिए मजबूर कर दिया था. माना जाता है कि यदि घर में कोई असहनीय पीड़ा में हैं और वो अगर हनुमान जी की इस स्तुति को गाए, तो उसके कष्ट जरूर दूर होते हैं.
शारीरिक कष्ट से मुक्ति के लिए ऐसे करें पाठ
गठिया, वात रोग, सिर दर्द, गले में दर्द, जोड़ों के दर्द आदि किसी भी तरह के दर्द से परेशान हैं तो किसी भी शुभ मुहूर्त को देखकर हनुमान बाहुक का पाठ 21 या 26 दिनों तक लगातार करें. पाठ के दौरान हनुमान जी के सामने एक पात्र में जल भरकर रखें. पूजा के बाद उस जल को पी लें. इससे आपकी शारीरिक समस्याएं दूर हो जाएंगी.
ये भी हैं फायदे
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कहा जाता है कि हनुमान बाहुक का पाठ करने से व्यक्ति के रुके हुए काम भी बन जाते हैं, चाहे वो नौकरी से जुड़े हों, धन से या किसी और चीज से. ये पाठ आपके आसपास एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिसके कारण भूत और प्रेत जैसी चीजें व्यक्ति को छू भी नहीं पातीं. वैसे तो हनुमान बाहुक का पाठ कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है, लेकिन आप इसे किसी विशेष मंशा से कर रहे हैं, तो हनुमान जी की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाकर तांबे के कलश में पानी भरकर जरूर रखें. इसके बाद इस पाठ को करें.
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